इंटरनेशनल योगा डेः ईसाई संगठन ने 21 जून के आयोजन पर उठाए सवाल

नई दिल्ली. 21 जून को इंटरनेशनल योगा डे को लेकर कुछ मुस्लिम धर्मगुरुओं की आपत्ति के बीच अब एक ईसाई संगठन ने भी संडे के इसके आयोजन को लेकर सवाल उठाए हैं। नागालैंड बाप्टिस्ट चर्च काउंसिल (एनबीसीसी) ने केन्द्र सरकार के योगा डे आयोजन पर आपत्ति जताई है। एनबीसीसी ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि रविवार को ऐसे कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है और अगर इसके लिए जोर-जबरदस्ती की गई तो इसे संविधान की ओर से दी गई धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन माना जाएगा। देश में योग को किसी धर्म विशेष से जोड़कर नहीं देखने की अपील की जा रही है, लेकिन एनबीसीसी का कहना है कि इसकी जड़ें हिंदू धर्म से जुड़ी हुई हैं।
 yog
बता दें कि 21 जून को रविवार है और रविवार को देश भर में छुट्टी होती है। ईसाई समाज के लोग रविवार को चर्च में प्रार्थना के लिए जाते हैं। संगठन ने इस दिन योग कार्यक्रम रखने को धार्मिक भवनाएं आहत करने वाला बताया है।
हमले की आशंका, खुफिया एजेंसी ने किया सतर्क
खुफिया एजेंसियों ने अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के मौके पर दिल्ली में आतंकी हमले से संबंधित अलर्ट जारी किया है। इस बीच दिल्ली पुलिस ने राजपथ के आसपास इलाकों में दो दिनों तक गुब्बारा, पतंग आदि उड़ाने पर बैन लगा दिया है। 21 जून को करीब 40 हजार लोग राजपथ पर योग करने वाले हैं।
योगा डे को लेकर पलटी उत्तराखंड सरकार
उत्तराखंड की कांग्रेस शासित सरकार अंतरराष्ट्रीय योग दिवस न मनाने के अपने फैसले से पलट गई है। हरीश रावत के नेतृत्व वाली सरकार ने ऑफिशियली इस समारोह को मनाने का डिसीजन लिया है। इतना ही नहीं सीएम हरीश रावत खुद 21 जून को राज्य स्तरीय योग वर्कशॉप की अध्यक्षता करने जा रहे हैं।
सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस ने अपनी राज्य सरकारों को योग कार्यक्रमों के प्रति उत्साह दिखाने के लिए पहले ही सचेत कर दिया है। इसलिए रावत का फैसला कांग्रेस हाईकमान को धत्ता बताने जैसा माना जा रहा है।
अब सीएम बनेंगे वर्कशॉप के चीफ गेस्ट
21 जून को को विश्व योग दिवस के अवसर पर देहरादून के पवेलियन ग्राउंड में राज्यस्तरीय वर्कशॉप का आयोजन किया जाएगा। इस कार्यशाला में मुख्यमंत्री हरीश रावत चीफ गेस्ट होंगे। राज्य के प्रमुख सचिव ओम प्रकाश ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। इस कार्यक्रम में राज्य के हेल्थ सेक्रेटरी सुरेंद्र सिंह नेगी भी आएंगे।
पहले किया था किनारा
इससे पहले हरीश रावत ने 17 को देहरादून में कहा था, “हम अंतरराष्ट्रीय योग दिवस समारोह का हिस्सा नहीं बनेंगे, क्योंकि हमारी इस बारे में ढोल पीटने में दिलचस्पी नहीं है।” रावत ने ये भी कहा था कि उत्तराखंड शारीरिक और मानसिक देखभाल की प्राचीन भारतीय पद्धति को प्रोत्साहन देने के पक्ष में है और इसके लिए उसकी अपनी योजना है, हम सितंबर से योग को प्रोत्साहन देने के लिए जल्द ही विस्तृत कार्य योजना के साथ आएंगे।
फैसला बदलने को लेकर चुप्पी
हालांकि बुधवार के योग दिवस न मनाने के फैसले को एक दिन बाद ही रावत सरकार ने क्यों बदल दिया, इस पर कोई सफाई सरकार की ओर से नहीं दी गई है। लेकिन सूत्रों का कहना है कि सरकार को ऐसा लगता है कि अगर इस योग दिवस से दूर रहा गया तो जनता में इसका गलत संकेत जा सकता है क्योंकि उत्तराखंड का योग से बहुत प्राचीन संबंध है। योग राज्य के पर्यटन और आर्थिक कारणों से भी जुड़ा है। हरिद्वार में पतंजलि योग पीठ और शांतिकुंज जैसे प्रसिद्ध योग संस्थान भी हैं।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *