सोनीपत ( आदेश त्यागी घसौली ) क्षेत्र में धान कटाई के बाद पराली जलाने का अपराध बढ़ रहा है। सुबह के साथ ही शाम ढलते किसान खेत में फैली पराली को आग लगा देते हैं। इसके कारण प्रदूषण बढ़ रहा हैं। इतना ही नहीं खेतों में पराली जलने से उठाने वाले धुएं का असर सडक़ों तक पहुंचता है, जिसके कारण लोगों की आंखों में जलन वाहनों के टकराने का खतरा बढ़ रहा है। बता दें कि क्षेत्र में किसान बढ़ी संख्या में बासमती धान की रोपाई करते हैं। इन दिनों धान की कटाई का सीजन चल रहा है। इस काम में बढ़ी संख्या में प्रवासी मजदूर जुटे हुए हैं। सबसे अधिक चिंता की बात यह है कि यहां पर किसान धान निकलने के बाद शेष बची पराली को जला देते हैं। हालांकि ऐसा करना गैर कानूनी है। पराली जलने से क्षेत्र में अत्याअधिक संख्या में प्रदूषण का स्तर बढ़ रहा है। लोगों का कहना है कि किसान आमतौर पर पराली जलाने की कवायद शाम के समय करते हैं, ताकि अंधेरे में उनको कोई पहचान नहीं पाए। जबकि आम आदमी दूर खेतों में उठने वाले धुएं को देखकर किसी अनहोनी की चिंता में डूब जाता है। सबसे बड़ी बात यह है कि पराली जलाने से काफी संख्या में धुआं उठाता है। जो पास से गुजरने वाली सडक़ों पर वाहन चालकों के लिए परेशानी बन जाता है।
जागरूकता के बाद भी नहीं दिखा असर
कृषि विभाग के अधिकारियों द्वारा पराल को न जलाए जाने के प्रति किसानों को जागरूक किया गया था। अगर जिले की बात की जाए तो दर्जनों किसानों पर मुकद्दमें भी दर्ज किए गए है, लेकिन उसके बाद भी जागरूता बेअसर नजर आ रही है। पराली जलाना गैर कानूनी होने के बाद भी किसान रुक नहीं रहे है।