सरपंचों ने लिया गांवों को खुले में शौच मुक्त करने का संकल्प  सरपंच अपने गांवों में स्वच्छता टीमों का नेतृत्व करें : एसडीएम   

सोनीपत इंडिया की दहाड़ ब्यूरो ( आदेश त्यागी )  29 snp-1 जिला प्रशासन द्वारा यूनिसेफ व फीडबैक फाउंडेशन के सहयोग से पांच दिवसीय समुदाय संचालित संपूर्ण स्वच्छता विधि कार्यशाला में जिला के सभी सरपंचों को प्रशिक्षण दिया गया। इस प्रशिक्षण शिविर में सभी सरपंचों संकल्प लिया कि वह अगले 90 दिनों में अपने-अपने गांवों को खुले में शौच से मुक्त कर देंगे। इस दौरान सरपंचों को संबोधित करते हुए उपमंडल अधिकारी (ना.) निशांत यादव ने कहा कि खुले में शौच जाना एक बहुत ही अपमानजनक कार्य है और खासकर महिलाओं के लिए। यही नहीं अधिकतर बीमारियां भी खुले में शौच की वजह से फैलने वाले प्रदूषण की वजह से ही होती हैं। आजादी के 70 वर्षों के बाद भी हमने शौचालयों का 100 प्रतिशत प्रयोग करना नहीं सीखा, लेकिन अब समय आ गया है जब हमें खुले में शौच मुक्त करने की इस लड़ाई को उसके अंजाम तक पहुंचाना है और प्रत्येक व्यक्ति को यह बताना है कि वह खुले में शौच न जाए।
यादव ने कहा कि इसी अभियान के तहत जिला प्रशासन द्वारा प्रत्येक गांव में एक स्वच्छता कमेटी का गठन भी किया गया है। प्रत्येक सरपंच को गांव का स्वच्छता दूत बनकर गांव का नेतृत्व करना है। उन्होंने कहा कि सरपंच और पंचायत गांव की चुनी हुई सरकार है और लोग उन पर विश्वास करते हैं। ऐसे में हमें प्रत्येक सुबह स्वच्छता कमेटी के साथ गांव में घूमकर लोगों को शौचालय प्रयोग करने के लिए प्रेरित करना है। इसके साथ ही कम्यूनिटी शौचालय जैसी परंपराओं को भी विकसित करना है। शिविर में प्रशिक्षण देते हुए डा. ज्योति राज ने कहा कि देशभर के ऐसे हजारों उदाहरण हैं जहां सरपंचों व पंचायत ने संकल्प लिया और आज वह गांव पूरी तरह से खुले में शौच मुक्त हैं।  प्रत्येक सरपंच में वह क्षमता है कि वह गांव को खुले में शौच मुक्त करने के अभियान को सिरे चढ़ा सके। सभी सरपंचों से आह्वान करते हुए उन्होंने कहा कि अब वह समय आ गया है जब हमें अपने आपको और अपने आस-पास के लोगों को स्वच्छ व स्वस्थ रखना है। इसके लिए प्रत्येक गांव में सभी घरों में शौचालयों का निर्माण लगभग पूरा हो चुका है और जहां पूरा नहीं हुआ है वहां पर शौचालयों का निर्माण करवाया जाए।

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