पाकिस्तान केवल भ्रम फैलाना चाहता है, पड़ोसी देश को कड़ा संदेश देने की जरूरत

नयी दिल्ली। जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा बलों पर 14 फरवरी को हुए आतंकवादी हमले में सीआरपीएफ के कम से कम 40 जवान शहीद हो गए। हमले की जिम्मेदारी पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने ली है। हमले को लेकर सरकार पर जवाबी कार्रवाई का भारी दबाव भी है। पेश हैं पाकिस्तान में भारत के पूर्व उच्चायुक्त जी पार्थसारथी से इस मुद्दे पर कूटनीतिक एवं अन्य विकल्पों पर सवाल और उनके जवाब:

 प्रश्न : हमले को लेकर सरकार पर कार्रवाई करने के दबाव के बीच आप वर्तमान परिस्थिति को किस नजरिये से देखते हैं ?  उत्तर : कूटनीति में पड़ोसी देश के साथ बेहतर संबंधों के लिये सम्पर्क में रहना जरूरी होता है, लेकिन वर्तमान परिस्थिति में पाकिस्तान से किसी तरह का सम्पर्क संभव नहीं है। ऐसे प्रयासों के लिये अच्छे एवं नेक इरादे की जरूरत होती है और पाकिस्तान से नेक इरादे की कल्पना नहीं की जा सकती। आतंकवाद और बातचीत साथ-साथ नहीं चल सकते। हकीकत में पाकिस्तान केवल यह भ्रम फैलाना चाहता है कि वह भारत से बातचीत के जरिए समस्या का समाधान का इच्छुक है, लेकिन पुलवामा आतंकी हमला उदाहरण है कि वह मामले का समाधान चाहता ही नहीं। पाकिस्तान पिछले चार दशकों से भारत में आतंकवाद को बढ़ावा देने का काम कर रहा है। एक तरफ पाकिस्तान जम्मू कश्मीर में आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा है तो दूसरी तरफ वह लगातार खालिस्तान समर्थक दुष्प्रचार चलाता रहा है। 

उत्तर : भारत के पास पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाई करने के लिये कई विकल्प हैं। कूटनीतिक स्तर पर अलग थलग करना एक सतत प्रक्रिया है। सैन्य स्तर पर कार्रवाई को लेकर भी विकल्प हैं। इस बारे में समय और कार्रवाई राजनीतिक नेतृत्व को तय करना है। पाकिस्तान को बेहद कड़ा संदेश देने की जरूरत है। घाटी में युवाओं में बढ़ते कट्टरपंथ के प्रभाव पर भी ध्यान देना होगा। आतंकी गुट जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर ए तैयबा बेहद कट्टरपंथी विचारधारा से प्रभावित हैं। नई रणनीति के तहत घाटी में घुसपैठ के बाद ये युवाओं को साथ जोड़ते हैं और कट्टरपंथी विचारधारा के दायरे में लाते हैं। इस विषय पर भी सूक्ष्म रणनीति के तहत ध्यान देने की जरूरत है

प्रश्न : क्या आपको लगता है कि पाकिस्तान आतंकवाद पर लगाम लगाने और भारत के साथ रिश्तों को मजबूत बनाने को तैयार है ?

उत्तर : हर देश के पास एक सेना है लेकिन पाकिस्‍तान में सेना के पास एक देश है। आज बांग्‍लादेश की विकास दर पाकिस्‍तान से अधिक है क्‍योंकि उसने विकास पर बल दिया। यह सही है कि आतंकवाद पाकिस्तान की नीति का हिस्सा बन चुका है। वह पड़ोसी देशों में चरमपंथ और आतंकवादी तत्वों को बढ़ावा देता रहा है। पाकिस्तान में ऐसी सरकार है जिसके बारे में कहा जाता है कि वह सेना के समर्थन से बनी है। ऐसे में उससे वही करने की उम्मीद की जा सकती है जो पाकिस्तानी सेना कहेगी।

प्रश्न : पुलवामा हमले की पृष्ठभूमि में पाकिस्तान की ओर जाने वाली नदियों का बहाव मोड़ने संबंधी सरकार के मंत्री के बयान को आप कैसे देखते हैं ?  उत्तर : कश्मीर में भारत को हाइड्रो-इलेक्ट्रिक पावर की ज़रूरत पूरी करने के लिए पानी की जरूरत है लेकिन सिंधु जल संधि को तोड़ देना एक विवादित विषय है । हम जो कहते हैं, उसके बारे में सतर्क रहना पड़ेगा। हमें सिंधु नदी से जुड़े विषयों पर समग्रता से विचार करना होगा। प्रश्न : पाकिस्तान को अलग थलग करने के लिये सार्क समेत अन्य क्षेत्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय मंचों की क्या भूमिका हो सकती है ?  उत्तर : भारत के लिये अब सार्क या दक्षेस क्षेत्रीय स्तर पर मुख्य क्षेत्रीय संगठन या मंच नहीं रह गया है। अब बिम्स्टेक संगठन का महत्व बढ़ गया है। अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत की कूटनीति का असर दिख रहा है और संयुक्त राष्ट्र समेत अन्य मंचों से पुलवामा हमले की एक स्वर में निंदा की गई है। जहां तक पाकिस्तान का सवाल है तो वह आतंकवाद के सवाल पर तब तक सब सब कुछ करता रहेगा जब तक वहां सेना का नियंत्रण रहेगा।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *