पटियाला हाउस कोर्ट ने कांग्रेस सांसद शशि थरूर की पत्नी सुनंदा पुष्कर मौत मामले में पुनरीक्षण याचिका पर फैसला 15 मार्च तक के लिए सुरक्षित रख लिया। इस याचिका में कहा गया है कि इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य में गड़बड़ियां हैं, जिन्हें एसआईटी द्वारा आरोप पत्र के साथ दायर किया गया था। इस वजह से गुरुवार को आरोपों पर जिरह शुरू नहीं हो सकी। जबकि दिल्ली पुलिस थरूर पर मामले की सुनवाई लटकाने का आरोप लगा रही है।
दिल्ली पुलिस ने चार साल चली जांच के बाद 14 मई 2018 को शशि थरूर के खिलाफ 3 हजार पन्नों का आरोप पत्र दाखिल किया था। पटियाला हाउस कोर्ट के विशेष न्यायाधीश अरुण भारद्वाज के समक्ष शशि थरूर के उस आवेदन पर जिरह हुई जिसमें कहा गया है कि बचाव पक्ष को केस के पूरे दस्तावेज दिए बिना ही केस को सुनवाई के लिए सत्र अदालत भेज दिया गया। इसके मद्देनजर इस केस को सुनवाई के लिए सत्र अदालत में भेजने संबंधी एसीएमएम का चार फरवरी 2019 का आदेश गलत था।
थरूर की ओर से सीनियर वकील विकास पाहवा ने कहा पुलिस ने सुनंदा की पोस्टमोर्टम रिपोर्ट समेत कई दस्तावेज नहीं दिए हैं। इसलिए एसीएमएम के उस आदेश को रद किया जाए और केस को वापस एसीएमएम के समक्ष भेजा जाए। वहीं दिल्ली पुलिस के विशेष वकील अतुल श्रीवास्तव ने कहा कि दिल्ली पुलिस केस के सभी दस्तावेज दे चुकी है। बचाव पक्ष अब इस आधार पर केवल केस की सुनवाई लटकाने की कोशिश कर रहा है। सुनंदा की मौत 17 जनवरी 2014 को होटल लीला के कमरे में हुई थी।
लेकिन पुलिस ने इसके एक साल बाद 2015 में हत्या व अन्य धाराओं में एफआईआर दर्ज की थी। जांच के बाद खुदकुशी के लिए उकसाने व अन्य धाराओं में चार्जशीट दाखिल की गई थी। केस की जांच के सिलसिले में होटल का वह कमरा करीब तीन साल तक बंद रहा था। कोर्ट के आदेश पर इसे अक्तूबर 2017 में खोला गया था।