आपदा प्रबंधन को लेकर मॉक ड्रील की गई
प्रात: 10 बजे कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिला जब लघु सचिवालय
में ठीक 10 बजे हुटर की लम्बी आवाज अधिकारियों और कर्मचारियों
के कानों में पड़ती है तो कोई मेज के नीचे छिपता है कोई कोने में खड़ा होता है
और कोई लेट कर काल्पनिक रूप से अपनी जान बचाने का प्रयास करता है।
तुरंत प्रभाव से सभी बगैर लिफ्ट का प्रयोग किए सीढियों के सहारे नीचे की
ओर आते हैं और लघु सचिवालय के बाहर असेम्बली क्षेत्र में खड़े होते हैं।
लघु सचिवालय परिसर में स्टेजिंग एरिया बनाया जाता है और एक-एक
कर सभी टीमों को वहां उपायुक्त हेमा शर्मा के निर्देश पर तैनात किया जाता है।
उपायुक्त हेमा शर्मा, एडीसी प्रीति सूचना पाकर तुरन्त लघु सचिवालय परिसर
से प्रथम तल पर बनाए गए कंट्रोल रूम में पंहुचते हैं जहां पर पुलिस कर्मचारियों से
वायरलेस के माध्यम से सूचनाएं एकत्रित की जाती हैं। कुछ देर बाद डीसी व एडीसी
अन्य अधिकारियों के साथ स्थानीय रैडक्रास और सरकारी अस्पताल का दौरा
भी करते हैं और अगर इस तरह की आपदा आ जाए तो स्वास्थ्य विभाग किस
तरह की तैयारियां करता है और फौरी तौर पर घायल अवस्था के लोगों को उपचार
मुहैया करवाया जाता है यह सभी जानकारियों डीसी ने मौके पर जाकर
सीएमओ डा0 संतलाल वर्मा से ली।
जानकारी लेने के बाद डीसी तुरन्त प्रभाव से कंट्रोल रूम में पंहुचती हैं
और कुछ देर बाद सम्बंधित अधिकारी मौके से कंट्रोल रूम में पंहुचते हैं।
करीब एक घण्टे तक चली इस मॉक ड्रील में सभी बिन्दूओं और कमियों पर
चर्चा की गई। यह मॉक ड्रील समालखा के लघु सचिवालय में एसडीएम
साहिल गुप्ता की देखरेख में की गई। विभिन्न रैसक्यू टीमों के लिए सीटीएम
सुमन भाखड़ को लघु सचिवालय में इंसीडेंट कमाण्डर बनाया गया था।
वहीं रैडक्रास में निगमायुक्त औमप्रकाश और एसडीएम समालखा
इंसीडेंट कमाण्डर रहे।उपायुक्त हेमा शर्मा ने मॉक
ड्रील के बाद सभी अधिकारियोंकी बैठक आयोजित की और कहा कि मॉक ड्रील में
आपसी समन्वय और टीम वर्क की कमी रही। इसलिए
ऐसी मॉक ड्रील भविष्य में भी आयोजित की जाएगी। आपदा के समय अपने सभी
संसाधनों का उपयोग किस तरह से किया जाए इस पर फोकस होना जरूरी है।
प्रत्येक विभाग अपना आपदा प्लान बनाकर रखे और साथ ही साथ नोडल अधिकारी
भी नियुक्त करें। गांव और स्कूल स्तर पर लोगों व विद्यार्थियों को जागरूक
करने के लिए भी योजना बनाई जाए।