भविष्य सुरक्षित करने के लिए बचाना होगा प्रकृति को प्रो.अंजलि गुप्ता

पानीपत (अमित जैन)

यह तो हम सभी भली-भांति जानते हैं कि मनुष्य का जीवन व अन्य सभी वन्य प्राणियों का जीवन प्रकृति पर ही निर्भर है। लेकिन काफी लंबे समय से मानव आवश्यकता की पूर्ति के लिए लगातार पर्यावरण से छेड़छाड़ कर रहा है जिसके बहुत से भयानक परिणाम देखने को भी मिल रहे हैं।

जिसका प्रभाव मानव जीवन के साथ-साथ अन्य सभी जीव-जंतुओं व वन्य प्राणियों पर पड़ रहा है। यदि लगातार इसी तरह से मानव प्रकृति से छेड़छाड़ करता रहा तो वह दिन दूर नहीं जब संपूर्ण प्रकृति के खत्म होने के साथ साथ मानव के जीवन का अस्तित्व ही खत्म हो जाएगा।

एक समय वह था जब मानव प्रकृति में रुचि लेता था प्रकृति के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को पूरी तरह से निभाता था विद्यार्थी भी पर्यावरण विषय को रुचि लेकर पढ़ते थे लेकिन आज के वर्तमान समय में इंसान ने अपने आपको इतना व्यस्त कर लिया है कि उसके पास प्रकृति के लिए समय ही नहीं बचा वह ऐसो आराम का जीवन जीने के लिए प्रकृति से सब कुछ चाहता तो है। लेकिन बदले में कुछ देना नहीं चाहता।

जिसके चलते पर्यावरण में लगातार हो रहे बदलाव किसी बड़े विनाश की ओर इशारा कर रहे हैं। हाल ही में एक बड़ा भयानक कारण चाइना में हुआ कोरोना वायरस है।जोकि इंसान का प्रकृति से छेड़छाड़ करने के साथ-साथ वन्य जीव जंतुओं के प्रति बेपरवाह होना उनका सम्मान ना करना अपने स्वार्थ के लिए भक्षण करने के कारण पनपा है। जिसके लिए जरूरी है कि अब समय आ गया है।

यदि समय रहते मानव प्रकृति के प्रति अपनी जिम्मेदारी को समझ कर कार्य करेगा तो यह सभी के हित के लिए होगा नहीं तो इंसान को अपने किए पर पछताना होगा यदि वे ऐसा नहीं करता तो जब तक धरती पर कुछ बचा हो ना असंभव सा लगता है। ?

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