गुरु नानक खालसा कॉलेज करनाल में स. तारा सिंह यादगार भाषण लड़ी का सुंदर आयोजन किया गया। इस अवसर पर मुख्य वक्ता पंजाबी विश्वविद्यालय पटियाला के पूर्व डीन प्रो. डा. जसविंदर सिंह रहे जबकि विशेष वक्ता कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के पंजाबी विभाग के पूर्व अध्यक्ष डा. हरसिमरन सिंह रंधावा रहे।
सबसे पहले कालेज शब्द गायन का आयोजन किया गया। इसके बाद पूर्व सांसद एवं पूर्व प्रधान सरदार तारा सिंह को श्रद्धा सुमन अर्पित किए गए और उनकी श्रेष्ठ कार्यों को याद किया गया। कालेज के प्राचार्य डॉ मेजर सिंह ने सभी का स्वागत किया एवं अपने संबोधन में कहा कि पंजाबी भाषा भारत में 11वीं, विश्व में नौवीं, पंजाब में पहली और हरियाणा में दूसरी भाषा है। इसलिए आज यह मातृभाषा दिवस मनाया जा रहा है।
डा. जसविंदर सिंह ने कहा कि मातृभाषा में हम सांस ले रहे हैं, सपने देखते हैं, महसूस करते हैं। मातृभाषा का किसी दूसरी भाषा से विरोध, तुलना या दुश्मनी नहीं हो सकती। मातृभाषा आपके व्यक्तित्व की पहचान है। डा. हरसिमरन सिंह रंधावा ने कहा कि मातृभाषा हमें केवल भाषा ही नहीं सिखाती अपितु हमें जिंदगी जीना भी सिखाती है।
अपनी संस्कृति को प्रदर्शित करने में मातृभाषा का महत्वपूर्ण योगदान है। डा. गुरिंदर सिंह ने कहा कि 21 फरवरी सन 1952 में पहली बार मातृभाषा दिवस मनाया गया था। मंच का संचालन प्रो. जतिंद्रपाल ने किया। इस अवसर पर प्रो प्रवीण कोर, प्रो प्रीतपाल, पूर्व प्राचार्य डॉ एस पी सिंह, कॉलेज प्रबंधन समिति के उप प्रधान सरदार सुरेंद्र पाल सिंह पसरीचा, डॉ बीर सिंह, डॉ देवी भूषण, प्रो. इमरान, प्रो प्रदीप, डा. दीपक व छात्र छात्राएं उपस्थित रहे।