आज शिवाजी स्टेडियम में जिला स्तरीय अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव के तहत सांस्कृतिक संध्या का आयोजन किया गया

पानीपत,इंडिया की दहाड़  (   रमा देवी  )        _—-27 आज शिवाजी स्टेडियम में जिला स्तरीय अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव के तहत सांस्कृतिक संध्या का आयोजन किया गया। उपायुक्त डा0 चन्द्रशेखर खरे ने इस समारोह की अध्यक्षता की और विशिष्ठ अतिथि के रूप में अतिरिक्त उपायुक्त राजीव मेहता,निगमायुक्त वीना हुडा, एसडीएम विवेक चौधरी, एसडीएम गौरव कुमार व नगराधीश संदीप अग्रवाल भी मौजूद रहे। एडीसी ने शिवाजी स्टेडियम में जिला स्तरीय अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव के तहत करवाए गए सभी कार्यकर्मों की जानकारी दी और जिला की सभी धार्मिक संस्थाओं के कार्यों की सराहना की और इसराना सहित पानीपत की सभी धार्मिक सिख संस्थाओं की ओर से दिए गए अटूट लंगर व अन्य सहयोग के लिए मुक्त कंठ से प्रशंसा करते हुए कहा की पानीपत की संस्थाओं का सहयोग काफी सराहनीय है। इस अवसर पर इस तीन दिवसीय आयोजन में उल्लेखनीय सहयोग देने वाले धार्मिक व समाजसेवी संस्थाओं के पदाधिकारियों, जिला के वरिष्ठ अधिकारियों और कर्मचारियों को पुरस्कृत किया गया।
 गीता ही विश्व का एक मात्र ऐसा ग्रंथ है जिसके माध्यम से ही मनुष्य सुखी जीवन व्यतित कर सकता है आज विश्व की अनके सभ्यताएं और संस्कृति की स्थिति ठीक नही है। दुनिया के अनेक देश आंतकवाद से पीडि़त हैं। दुनिया पर कट्टरवाद हावी होना चाहता है। ऐसे समय में विश्व मानव को गीता का संदेश देना समय की सबसे बड़ी मांग है। उन्होंने कहा कि गीता विश्व का सर्वश्रेष्ठ गं्रथ है और यह प्रत्येक भारतीय के लिए भी गौरव की बात है कि उसका जन्म भारत की पवित्र धरा पर हुआ है। उन्होंने कहा कि गीता को पढऩे मात्र से कुछ नहीं होता, हमें विचार करना चाहिए, हम गीता में कैसे प्रवेश करें। जो वाणी भगवान श्रीकृष्ण की वाणी हो, उसे बोलना और कण्ठस्थ करना आसान तो नहीं है। गीता भगवान द्वारा गाया गया मधुर गीत है, जिसे गाकर विश्व का हर आदमी अपने जीवन का कल्याण कर सकता है और जिज्ञासु व्यक्ति गीता के ज्ञान के माध्यम से भवसागर से पार हो जाता है। उन्होंने कहा कि गीता में यंूॅ तो 700 श£ोक हैं, जिनमें 574 श£ोक भगवान श्रीकृष्ण के कंठ से निकले हैं।
उन्होंने कहा कि संघर्षों का नाम ही जीवन है। जिसका जन्म जेल की सलाखों में हुआ हो, जन्म के बाद भी मॉ-बाप सलाखों में रहे हों, जिन्हें मारने के अनेक षडयंत्र भी रचे गए हों, जिनका सारा जीवन कष्टों से बीता हो और उनके चेहरे पर किसी ने सीकन अथवा रोते हुए भी न देखा हो, वह भगवान श्री कृष्ण ही हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि गीता वेद का मंत्र भी है और जीवन का सूत्र भी है। इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को गीता के बताए मार्ग पर चलते हुए अपने जीवन को सुखमय बनाना चाहिए।

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