अदालत ने दिल्ली सरकार से पूछा, क्या सीएनजी वाहनों से प्रदूषण होता है?

दिल्ली उच्च न्यायालय ने आम आदमी पार्टी (आप) सरकार से सवाल किया है कि क्या राष्ट्रीय राजधानी में सीएनजी वाहनों से वायु प्रदूषण में वृद्धि होती है। मुख्य न्यायाधीश राजेंद्र मेनन और न्यायमूर्ति ए जे भंबानी की पीठ ने एक एनजीओ द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली सरकार से यह सवाल किया। एनजीओ ने अपनी याचिका में दावा किया है कि 1988 का मोटर वाहन कानून लागू नहीं किए जाने के कारण दिल्ली में वाहनों से होने वाले वायु प्रदूषण में वृद्धि हुई है।

अदालत ने अपने हालिया आदेश में दिल्ली सरकार को चार सप्ताह का समय देते हुए, विशेष रूप से प्रदूषण के संदर्भ में, एक अद्यतन स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है कि क्या सीएनजी वाहनों के कारण कोई प्रदूषण होता है।

पीठ ने गैर सरकारी संगठन ‘कैंपेन फॉर पीपल पार्टिसिपेशन इन डेवलपमेंट प्लानिंग’ की याचिका को 29 जुलाई को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया। एनजीओ की याचिका फरवरी 2016 में दायर की गई थी जब दिल्ली सरकार ने वाहनों के लिए दूसरे चरण की ‘सम-विषम’ योजना की घोषणा की थी।

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