त्याग तपस्या एवं क्षमा याचना का पर्व है संवत्सरी।

पानीपत (अमित जैन)

जैन धर्म अनादिकाल से है इस युग में पंचम आरे के भगवान ऋषभदेव द्वारा जैन धर्म की शुरुआत हुई भगवान महावीर स्वामी ने विश्व को अहिंसा का पाठ पढ़ा जियो और जीने दों का संदेश दिया।

जैन धर्म में पर्यूषण पर्व का विशेष महत्व है। भाद्रपद मास में पर्यूषण पर्व मनाया जाता है। पर्यूषण पर्व का मूल लक्ष्य आत्मा की शुद्घि है। पर्यावरण का शोधन इसके लिए जरूरी होता है।

आत्मा को पर्यावरण के प्रति तटस्थ या वीतराग बनाए रखना होता है। मुनियों और विद्वानों के सान्निध्य में स्वाध्याय किया जाता है।पर्यूषण पर्व पर क्षमत्क्षमापना या क्षमावाणी का कार्यक्रम भी होता है। यह सभी के लिए प्रेरणास्राेत माना जाता है।

इस दिन लोग उपवास रखते हैं और स्वयं के पापों की आलोचना करते हुए भविष्य में उनसे बचने का संकल्प लेते हैं। चौरासी लाख योनियों में विचरण कर रहे समस्त जीवों से क्षमा मांगते है।

स्थानीय अग्रवाल मंडी जैन स्थानक में वात्सल्य निधि एवं व्यवहार कुशल श्री नरेंद्र मुनि जी महाराज, सरलमना श्री श्री पाल मुनि जी महाराज, श्री जयंत मुनि जी महाराज का पावन चतुर्मास चल रहा है।

श्री एस.एस. जैन सभा के महामंत्री राजेन्द्र जैन ने जानकारी देते हुए बतया की इस दिन सभी जैन समाज के लोग अपने प्रतिष्ठानों को बंद रखते है।3 सितंबर मंगलवार को संवत्सरी पर्व जैन समाज के समस्त श्रावक श्राविकाओं द्वारा मनाया।

प्रवचन में कई श्रावक श्राविकाओं ने पर्व संबधि अपने मन की बात को रखा व भक्ति भजन गाये।सभी ने पोसध व्रत किये व सभी ने गुरुओं एवं आपस मे एक दूसरे से क्षमा याचना की ओर सभी को पर्व की बधाई दी।

विजय जैन ने कहा कि भारत के अलावा ब्रिटेन,अमेरिका,कनाडा,ऑस्ट्रेलिया,जापान सहित विभिन्न देशों में भी जैन समाज के लोग पर्यूषण पर्व मनाते हैं।

इस मौके पर श्री एसएस जैन सभा प्रधान गौतम जैन पार्षद विजय जैन,सुभाष जैन,जुगमंदर दास जैन,जगदीश जैन,सुलेख जैन,अजित जैन,संजय जैन,सुरेंद्र जैन,अनिल जैन, रेणु, जैन,सन्तोष जैन, शीला जैन एवं आदि समस्त जैन समाज के लोग मौजूद रहे

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