भारत में ईआईए की शुरुआत अमेरिका की देखादेखी हुई थी. साल 1970 में अमेरिकी सरकार ने तय किया था कि कोई भी ऐसा प्रोजेक्ट शुरू करते हुए, जिसका पर्यावरण से संबंध हो, ये देखा जाएगा कि कहीं उससे कोई नुकसान तो नहीं हो रहा. इसी आधार पर प्रोजेक्ट को मंजूरी मिलेगी।
इस मुद्दे पर बातचीत करते हुए (आल इंडिया सोनिया ब्रिगेड कांग्रेस)की प्रदेशाध्यक्ष दीपा शर्मा ने कहा कि इसके बाद भारत ने भी ये नीति लागू की. साथ ही साथ बहुतेरे देशों ने अपने यहां ईआईए को मंजूरी दी हुई है| इससे निजी उद्योगों के फैलाव पर भी नियंत्रण होता है तो साथ ही इसके पालन से ही काफी विदेशी फंडिंग मिलती है, जो इसी पर निर्भर होती है कि देश में पर्यावरण के लिए क्या किया जा रहा है।
दीपा जी ने बताया कि पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 के तहत लागू हुआ था। अब केंद्र ने इसी में बदलाव का प्रस्ताव दिया है. ऐसे किसी मसौदे में बदलाव के लिए आमतौर पर 60 दिनों तक राय लेने का समय दिया जाता है। फिलहाल लॉकडाउन के चलते इसके लिए 120 दिनों का वक्त दिया गया था। इसमें बदलाव के लिए सरकार का तर्क है कि इससे नियम ज्यादा पारदर्शी हो जाएगा और ऑनलाइन भी इसमें राय दी जा सकेगी।
जब सत्ता धारी अत्याचारी बन जाते है, जब सत्ता धारी जनता पर भारी पड़ जाते है,, जब सत्ता धारी देश विरोधी बन जाते है व तब सत्ता धारी अहंकारी बन जाते है…!!! तब इंकलाब लाना पड़ता है, तब सत्ता का नशा उतारना पड़ता है, तब अहंकार मिटाना पड़ता है’ तब अत्याचार पर जनता की शक्ति का वार करना पड़ता…!
* मोदी सरकार ने चंद उद्योग’पति दोस्तों की इच्छा पर पर्यावरण की परिस्थितियों को दरकिनार कर EIA2020Draft लाकर भारत की भौगोलिक दृष्टि, भारत की संस्कृति व भारतीय जन मानस पर वार किया है…!!!
मैं,,,इस पर्यावरण विरोधी EIADraft का कड़ा विरोध करती हूँ, मोदी सरकार इस नोटिफिकेशन को तत्काल वापिस ले कर जनता से इस पर माफी मांगे,, अन्यथा मोदी सरकार आमजन के असली रूप को देखने व सहने के लिए तैयार रहे…!!!
“जल ही जीवन है” , “पर्यावरण ही जल का स्रोत है”