हमारी दिनचर्या अब बदल गई है. क्लास रूम की जगह एक छोटे से लैपटॉप ने ले ली है. और इस टेक्नोलॉजी में सबसे ज्यादा रंगे हैं हमारे शिक्षक , क्लास चल रही हैं ,प्रोजेक्ट भी हो रहे हैं मानो हम पहले की बजाय ज्यादा गंभीरता से अपने दायित्व निभा रहे हैं.
हां, यह सच है की क्लास रूम जैसी मस्ती नहीं है. विद्यार्थियों की हस्ती खिलखिलाती शरारत नहीं है पर कुछ रुका भी नहीं है.
मैं शक्ति अरोड़ा पाईट इंजीनियरिंग कॉलेज में कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग की अध्यापिका के पद पर कार्यरत हूं और आज इस कोरोना जैसी महामारी जिसने हम सब को बंदी बनाकर रख लिया है के विषय में कुछ पंक्तियां कहना चाहती हूं
समय चक्र
समय का चक्र घूम गया अंधकार बड़ा है चारों ओर
त्राहि-त्राहि करता मानव देखो मचा रहा है शोर
समय ने मारी ऐसी मार बंद हुआ और हुआ लाचार
अपने कर्मों की सजा मिली तो ,टूट गया सारा अहंकार
बचता फिरता मुंह को ढकता ,खुद को बंद कमरों में रखता
हंसता उस पर सारा संसार समय ने मारी ऐसी मार
जल वायु और अग्नि कहती बहुत सताया तूने हमको
चैन सुकून छीन प्रकृति का खूब रुलाया तूने हमको
आज हमारी बारी है ,और पूरी तैयारी है
चेतावनी समझ ले इसको अन्यथा विनाश की तेरी बारी है
शक्ति नागपाल अरोड़ा